Mussaddi lal ki gawah
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CAST:
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जज
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वकील
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गवाह
SCENE 1: COURTROOM: INTERNAL: DAY
सुत्रधार:
आप में से कई लोग कचहरी जातें हैं .. अपने केस मुकदमे के चक्कर में! कुछ लोग जज हैं .. कुछ वकील हैं, वे भी कचहरी जातें हैं .. पर कुछ ऐसे भी लोग हैं जो ना जज हैं ना वकील फिर भी उनका कचहरी में आना जाना लगा रहता है। उन्ही में से एक हैं हमारे मुसद्दी लाल .. एक प्रोफेशनल गवाह! काफी नामी गवाह हैं .. उनकी गवाही सुनने के लिये काफी भीड़ भी जम जाती है। काफ़ी किस्से मशहूर हैं उनके हमारे यहां .. अब आपको उनके किस-किस किस्सों के बारे में बतायें .. आप खुद ही देख लिजिये ..
इस एकांकी में गवाह मुसद्दी लाल का रोल …………………… निभा रहें हैं, वकील के रोल में हैं ……………….., और मेरा क्या रोल है, ये आप खुद ही देख लिजिये!
SCENE 2: COURTROOM: INTERNAL: DAY
सुत्रधार ही जज की कुर्सी पर बैठा है। आवाज आती है – मुसद्दी लाल हाजिर हो .. ! मुसद्दी लाल हाथ में कटहरा उठाये अदालत में दाखिल होता है।
मुसद्दी लाल:
बहुत गवाही देने जाना पड़ता है ना, इसलिये कटहरा अपने साथ ही लेकर चलता हुँ।
(फिर जज की ओर देख कर)
नमस्कार जज साब .. अएं, आप नये आये हैं का जज साब, पाठक जी थें ना आप से पहले? अच्छा घूंस लेने के कारण डिस्मिस विस्मिस हो गये होंगे, पाठक जी .. कितना मना किया था, साहब को!
वकील:
ठीक है .. ठीक है .., पहले आप गीता पर हाथ रख कर ..
मुसद्दी लाल:
(बीच में टोकता हुआ)
साब, ये गीता कहां? ये तो BRO का File है!
वकील:
ठीक है .. ठीक है, आप इसी पर हाथ रख कर कसम खाइये कि जो भी कहेंगे सच कहेंगे और सच के सिवा कुछ भी नही कहेंगे।
मुसद्दी लाल:
(जज की तरफ मुड़कर)
लो, सुनो ..! ये ऐसे ही बात हो गयी .. हमरे गांव मे एक रहा कलुवा .. अ एक ठो रही उसकी भैंस .. अ उसकी भैंस को हुआ एगो भैंसा ..
वकील:
(बीच में)
अब .., कलुवा और उसकी भैंस का इस शपथ से क्या संबंध?
मुसद्दी लाल:
जो सुना रहे है वो तो सुनो ना ..!
(जज की तरफ मुड़कर)
जज साब,जब भैंस को हुआ भैंसा, तो हमको मिल गया बाबू .. हम बोला, ए बाबू, कलुवा के भैंस को हुआ है एगो भैंसा .. तो जानते हैं का बोला?
जज प्रश्नवाचक अंदाज मे देखता है
मुसद्दी लाल:
बोला .. का हो, कलुवा का भैंस पेट से था का? अब आप बताओ, बिना पेट से हुये भी का भैंसा हो सकता है? आप पढ़े लिखे लोग भी ना .. जाने का बात करत हो! अरे ऐसे ही, जब हम सच बोलेंगे ही तो सच के सिवा और का बोलेंगे .. मतबल है कोइ इस बात का .. बताओ तो जरा?
वकील:
कानून है .., शपथ लो!
मुसद्दी लाल:
हां तो ठीक है, हम कोई कानून के बाहर थोड़े ही हैं .. लाइये हम शपथ लेते है।
(जज की ओर देख कर शपथ लेता है)
मैं जज साहब और ईश्वर को हाजिर-नाजिर जान कर शपथ लेता हुँ कि जो भी कहुंगा सच कहुंगा और, सच के सिवा कुछ भी नही कहुंगा।
(फिर वकील की ओर मुड़कर)
वैसे हमरी ये बात आप भी जान लो, सात पुस्तों में से भी आजतक किसी ने झूठ नही बोला है .. सबसे बड़ा सच तो यही है!
वकील:
अच्छा ठीक है ठीक है, ये बताओ, नाम क्या है?
मुसद्दी लाल:
किसका?
वकील:
अब यहां क्या आपको गांव के लोगों के नाम पूछने के लिये बुलाया है ..अपना नाम बताइये!
मुसद्दी लाल:
मुझे लगा के आप जज साब का नाम पूछ रहें हैं के ..(दर्शकों की ओर इशारा करके) इनका नाम पूछ रहें हैं के, उनका नाम पूछ रहें हैं!
वकील:
आप अपना नाम बताइये।
मुसद्दी लाल:
(जज की ओर इशारा करता हुआ)
जज साहब, ये पाठक जी कहां गये आपको मालूम है का? उनके एक रिश्तेदार के केस में भी हम ही गवाह हैं।
जज:
आप से जो सवाल किया जा रहा है सिर्फ उसका जबाव दें- अपना नाम बतायें।
मुसद्दी लाल:
हुजूर माई बाप, नाम का तो ऐसा है .. मां बाप ने तो रखा था .. छोड़ें साहब, गांव में तो जो मिल जाता है हमको कहता है – माधोलाल, तो कोई कहता है माधो भइया, तो कोई माधो मियां .. माधो भाईजान .. कोई-कोई तो ..
वकील:
ओह्हो, आप एक नाम बताइये।
मुसद्दी लाल:
नाम लिखना है तो लिख लिजिये .. मुसद्दी लाल .. ला लड़की का!
जज:
(टेबल पर हथौड़ा बजाते हुए)
आर्डर-आर्डर, क्या आप उनको (वकील की ओर इशारा करके)वर्णमाला सिखायेंगे?
मुसद्दी लाल:
नहीं-नहीं जज साब, क्या है ना कई बार गलती हो जाती है सुनने में ना .. फिर वकील साब तो अपने पुराने आदमी हैं ..।
वकील:
बस-बस ठीक है, बाप का नाम बताइये।
मुसद्दी लाल:
साब, हमारे यहां बाप का नाम जुबान पर नही लातें हैं।
वकील:
क्युं? क्या शर्म आती है?
मुसद्दी लाल:
(भड़क कर)
शरम काहे को आयेगी? आप को आती है क्या बाप का नाम लेने में? लिखिये .. हरि लाल पहलवान .. हरि लाल पहलवान .. हा हाथी वाला!
वकील:
अपनी उम्र बताइये।
मुसद्दी लाल:
का ..? काहे बताबें? कोई शादि-ब्याह करवाना है का?
वकील:
ओह, आप अपनी उम्र बताइये।
मुसद्दी लाल:
हुजूर, मैं जैसा हुं .. बूढ़ा हुं .. जवान हुं, आप के सामने हुं .., बस! आपको जैसा लगे, लिख लिजिये। इसी में अदालत का टाईम निकल जायेगा!
जज:
(वकील से)
आप ये सब क्यों पूछना चाहतें है?
वकील:
सर, मैं तो बस इनकी आईडेन्टिटी इस्टैब्लिश करना चाह रहा हुँ।
जज:
ठीक है, अब मेन मुद्दे पर आइये।
वकील:
ठीक है सर, बस एक और सवाल ..
(मुसद्दी लाल से)
क्या आप जेल जा चुके हैं?
मुसद्दी लाल:
जेल ..? अरे, जेल जाना कोई खराब बात है का? महात्मा गांधी भी तो गये थें जेल .. नमक बनाने के लिये!
वकील:
और .. आप किस लिये गये थे जेल?
मुसद्दी लाल:
दारू बनाने के लिये ..!
वकील:
दारू ..? क्या आपको मालूम नहीं, नागालैंड में दारू बनाना गैरकानूनी है?
मुसद्दी लाल:
उस टाईम में तो नमक बनाना भी उतना ही गैरकानूनी था .. गांधी बाबा से क्यूं नही पूछते है .. बड़ा आदमी थें, इसलिये क्या?
जज:
(वकील से)
आप क्यों ये सवाल पूछ रहें हैं?
वकील:
साहब, मैं अदालत के सामने ये तथ्य लाना चाहता हुं कि ये आदमी झूठी गवाही देने के आरोप में भी जेल जा चुका है।
मुसद्दी लाल:
अरे, ऐसी छोटी-मोटी बातें मुझे याद नही।
वकील:
छोटी-मोटी बातें?
मुसद्दी लाल:
हां, और नही तो क्या?
जज:
(मुसद्दी लाल से)
क्या आप अपनी सफायी में कुछ कहना चाहतें है?
मुसद्दी लाल:
सफायी के बारे में ..?
जज:
हां, सफायी के बारे में ..!
मुसद्दी लाल:
जज साब, मैं बहुत सफायीपसंद इंसान हुं .. दिन में दो बार नहाता हुं .. सफायी के लिये .. लक्स साबुन से, कभी लाइफबॉय से, कभी पीयर्स से, कभी हमाम से, तो कभी ..
जज:
मैने आपसे इस मसले पर सफायी के बारे मे पुछा था!
मुसद्दी लाल:
साहब, मैं तो हमेशा साफ-सुथरा रहता हुं .. आप मुझे सुंघ कर देखिये ना .. कोई बदबू नहीं ..!
जज:
(वकील से)
आप गवाह से इस मामले के संबंध में सवाल पूछिये।
वकील:
ठीक है, जज साहब
(मुसद्दी लाल से)
आप लालू को जानते हैं?
मुसद्दी लाल:
कौन .. यादव? चीफ मिनिस्टर रह चुके हैं, बिहार के ..!
वकील:
मैं लालूराम की बात कर रहा हुं .. आप के गांव का लालूराम .. आपका पड़ोसी!
मुसद्दी लाल:
हां साहब, हम तो खूब जानत रहें .. उ लालूराम के .. अरे, लंगोटिया दोस्ती जो रही!
वकील:
अच्छा, तो ये बताइये, लालू राम की उम्र क्या होगी?
मुसद्दी लाल:
अरे साहब, जब बताया की हमरे दोस्त रहें है तो ये उमर-बीम्मर क्या है .. कोई एतना सोंच के दोस्ती थोड़े करता है?
वकील:
आप सिर्फ इतना बतायें कि आप लालूराम को जानते है या नहीं।
मुसद्दी लाल:
बिल्कुल जानते है साहब, जैसे कंपुटर मे करंट होता है .. जैसे कलम में स्याही होता है .. जैसे समोसे मे आलू होता है, वैसे ही हमरे दिल मे वो है ..
वकील:
(बीच में)
फिर आप उनकी उम्र क्यों नही बता रहे है ..? बताइये।
मुसद्दी लाल:
उनकी उम्र .. लिखिये .. यही कोई ३० ..
वकील:
३० साल ..?
मुसद्दी लाल:
३० से ६० साल के बीच है ..!
वकील:
ये कौन सी उम्र है .. ३० से ६० साल के बीच?
मुसद्दी लाल:
अब हम कोई उनके छट्ठी मे भोज तो खाय नही रहें .. जो एकदम सही-सही ही बता पायें! जो बता रहें है सो लिख लो, ना तो खुदई पूछ लेना!
वकील:
अच्छा, आप ये बताइये उनका कद कैसा है .. लंबे है या नाटे?
मुसद्दी लाल:
है तो लंबे ..
वकील:
अच्छा, लंबे है?!
मुसद्दी लाल:
हां, लंबे है .. लेकिन ..
वकील:
लेकिन क्या?
मुसद्दी लाल:
लेकिन ये कि उनको बहुत जोर का दमा है .. तो थोड़ा झुक कर चलते है .. (झुक कर दिखाता है) इसलिये लगते नाटे ही है .. !
वकील:
(हक्का-वक्का होकर)
है ..? अच्छा उनका रंग कैसा है .. गोरा या काला?
मुसद्दी लाल:
साहब .., हैं तो गोरे ही ..
वकील:
अच्छा, गोरे है ..?
मुसद्दी लाल:
हां, गोरे है .., लेकिन ..
वकील:
अब लेकिन क्या?
मुसद्दी लाल:
साहब हमने सच बोलने की कसम खायी है .. तो, कहेंगे तो सच ही! लालूराम को, बताया ना, बड़े जोर का दमा है .. सो चेहरा कुम्हला गया है .. देख कर कोई बता नही सकता के गोरे है या काले!
वकील:
लालूराम के बाल कैसे हैं .. सफेद या ..
मुसद्दी लाल:
सफेद है, साब ..
वकील:
अच्छा, सफेद है ..!
मुसद्दी लाल:
हां, हैं तो सफेद ही .., लेकिन ..
वकील:
अब, लेकिन क्या?
मुसद्दी लाल:
साब, आजकल बाल कौन नही काले करता है .. सो वो भी कभी-कभी अपने बाल काले कर लेता है।
जज:
मुसद्दी लाल गवाह, आपको अदालत निर्देश देती है कि उल-जुलूल बातों से अदालत और अपना वक्त जाया न करें।
मुसद्दी लाल:
हुजुर, उल-जुलूल कहां ..? मैं तो सच बता रहा हुं और सच के सिवा कुछ भी नही .. कसम भगवान की!
वकील:
अच्छा, आप मुन्नू मियां को जानते हैं?
मुसद्दी लाल:
हां साहब, जैसे लालूराम को जानते है, वैसे ही ..
वकील:
थोड़ा विस्तार से बताये, मुन्नू मियां को कैसे जानते है?
मुसद्दी लाल:
बड़ा लालची है साहब, जब देखो तब हमरे बैठक में ही पड़ा रहता है .. पान-तमाखू के लिये! मुफतखोरी की आदत है ना साहब .. मुफत मे तो गोबर भी खिलाओ तो खा ले!
वकील:
अच्छा, मुन्नू मियां का कद कैसा है?
मुसद्दी लाल:
कद माने .. लंबाई?
वकील:
हां .. हां।
मुसद्दी लाल:
मुन्नू मियां का कद होगा .. यही कोई (हथेली नीचे की तरफ करके हाथ उपर-नीचे करता है)
वकील:
कितना ..?
मुसद्दी लाल:
इतना ..
(कंधे के बराबर हाथ रोक कर)
अ .. हां।
वकील:
(जज की ओर मुड़कर)
नोट किया जाये योर ऑनर, ये आदमी अदालत मे झूठ बोल रहा है .. जिस मुन्नू मियां का कद ये इतना बता रहा है, वो आदमी नहीं, मुर्गा है ..!
मुसद्दी लाल:
(हड़बड़ाकर, जज से )
अयं .., मुर्गा है? अभी रुकिये जज साहब .. झूठ कहां .. अभी दुसरा हाथ लगाया कहां है?
(दुसरा हाथ पहले हाथ के करीब ६ इंच नीचे लगा कर)
इतना .. मैं तो इतना ही कह रहा हुं .. ये वकील साहब सुनते ही नही हैं।
वकील:
आप सच बतायें वारदात के वक्त आप वहां थे या नही?
मुसद्दी लाल:
लो सुनो, हम काहे नही होंगे .. अरे हमरा तो काम ही है वारदात के वक्त खड़े होने का .. (फिर अपनी बात पर ही चौंक कर) मतबल .. किसी से भी पूछ लो .. हम तो वहीं थे। अब कोई घड़ी-घोड़ा तो है नहीं हम गरीबों के पास के आपको टाईम भी बता दें कि हां इतने बजे हम वहां खड़े थें और इतने बजे की वारदात है!
वकील:
ठीक है, वारदात के बारे में जो भी मालूम है वो अदालत को बताये।
मुसद्दी लाल:
(जज की ओर मुड़कर)
साहब हमरे गांव का सूरज डुबने ही वाला था ..।
वकील:
अब आपके गांव में क्या कोई निराला सूरज उगता है .. ये बताइये दिन था या रात?
मुसद्दी लाल:
(जज से)
जज साब, ये बताइये, हमरे गांव मे अगर सूरज डुब गया तो का सारे संसार मे सूरज डूब जाता है? कल को बगल गांव वाला कोई आकर अगर बता दे कि वहां सूरज नही डूबा था तो इ वकील साहब तो हमको झूठ बोलने के आरोप में जेल भिजवा देंगे ना .. ?
(फिर वकील की तरफ मुड़कर)
का वकील साहब .. है ना जायज बात? आप कल ये भी पूछ सकते है .. सूरज तुमरे ही गांव में क्यों डूबा? अरे, वो कोई हमरे मर्जी से चढ़ता गिरता है ..? वो तो होता ही रहता है .. कभी चढ़ता है कभी गिरता है! इसिलिये तो कहा है .. सुनिये:-
पर्वत से गिर कर भी संभल सकता है कोई,
नजर से जो गिर जाये उसको संभालेगा कौन?
मुसद्दी लाल अपनी बात पर खुद ही खूश होता हुआ जज की ओर देखता है।
जज:
आप शायरी छोड़िये और वकील साहब की बात का जबाव दिजिये।
मुसद्दी लाल:
(निराश होकर)
साहब, बुरा ना माने तो एक बात बोलूं .. पाठक जी ज्यादा अच्छे थें .. शेरो-शायरी में भी दखल रखतें थें।
वकील:
ये जो आरोप है लालूराम पर कि उसने अंतिम नागा का पिटायी किया है, इसके बारे में आप का क्या कहना है?
मुसद्दी लाल:
हम तो लड़ाई-झगड़े से कोसो दूर रहतें है साहब, हम क्या बता सकते है!
वकील:
तो आप मानते है, वारदात के वक्त वहां आप नही थें?
मुसद्दी लाल:
नही, हम तो वहीं थे!
(वकील की ओर देख कर सर हिला-हिला कर बोलता हुआ)
शपथ खाया है साहब, झूठ नहीं ना बोलेंगे! हमरे आगे भी दु लोग था और पीछे भी दु लोग .. बताइये कितना लोग था .. अब ऐसे में जो दिखा वोही तो बताएंगे ना आपको!
वकील:
ये जो चीखने की आवाज आयी थी, वो किस दिशा से आयी थी?
मुसद्दी लाल:
दिशा .. ? गरीबों की भी कोई दिशा होती है साहब? आप ही बताइये कि हमरे गांव में रात के अंधेरे में अगर कोई कुत्ता भूंकता है ..
(कुत्ते की आवाज निकालता है)
भूं ऽ भूं .., तो बताइये, वो आवाज किस दिशा से आती है?
जज अब कुर्सी से उठकर सुत्रधार की भूमिका मे (पीछे वकील और गवाह धीमी आवाज में जिरह करते रहते है)
जज:
बहूत सवाल किये वकील ने और हमारे रणबांकुरे मुसद्दी लाल भी डटे रहे। उसने वो जबाव दिये .. वो जबाव दिये कि मामला सुलझने की बजाय और उलझ गया, और आगे वही हुआ जो होता आया है …।
SCENE 3: COURTLROOM: INTERNAL: DAY
जज:
(टेबल पर हथौड़ा मारते हुए)
ऑर्डर-ऑर्डर, गवाह की गवाही और वकील की जिरह सुनकर अदालत अभी किसी भी नतीजे तक नही पहुंच पायी है इसलिये इस मुकद्दमे की कार्रवायी अगले सेवक डे तक के लिये मुल्तवी की जाती है।
मुसद्दी लाल:
(वकील की तरफ देख कर)
लो हो गया मुल्तवी, अरे हमको तो अगला डेट ही चाहिये था .. आप काहे इतना अनाप-शनाप सवाल पूछे जा रहे थे।
(फिर पॉकेट मे हाथ डालते हुये)
ए हुजूर आपके पास पाँच सौ का छुट्टा है का?
वकील:
किस लिये?
मुसद्दी लाल:
अरे लालूराम को वापस करना है .. सौ रुपया! हमरा फीस चारे सौ फी गवाही है ना .., जरुरत पड़े तो कभी आप भी याद किजियेगा साहब .. इस मुसद्दीलाल गवाह को ..!
पर्दा गिरता है।
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